य एष सुप्तेषु जागर्ति कामं,कामं पुरूषो निर्मिमाण:
श्री मति रूकमणी देवी रामदेव लढ़ा चैरीटेबल ट्रस्ट, नावां सिटी
वह पुरूष जो नानाविध कामनाओं की सृष्टि करते हुए सोते हुओं में जागता रहता है,वही ज्योतिर्मय पुरूष वही ब्रह्म वही अमृतत्व कहलाता है। उसमें ही समस्त लोक - लोकान्तर आश्रित है,कोई भी उससे परे नही जाता है। ट्रस्ट के माध्यम से समाज के जरूरतमंदों की सेवा,शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार लाना ही मुख्य उदेश्य होता है। ऐसा ही एक चेरीटेबल ट्रस्ट श्री मति इन्द्रू देवी छगनलाल लढ़ा चैरीटेबल ट्रस्ट का गठन 13 अगस्त 1997 में नावां में हुआ था। जो अपने कार्यकाल में सेवा,सस्कार और सामाजिक उत्थान जैसे विषयों को लेकर धार्मिक स्थलों पर खुब कार्य किया। समाज के कल्याण, गरीबों की सेवा करना,निशुल्क स्वास्थ्य शिविर,शिक्षा को बढ़ावा देना जैसे कार्य मुख्य है।
इन पुनीत कार्यो का श्रेय ट्रस्ट अध्यक्ष श्री रामदेव लढ़ा को जाता है। महाकरूणा का भाव ह्दय में अपार संभावनाओं से ओत प्रोत होते हुए 1 मार्च 2007 को ट्रस्ट का नाम श्री मति रूकमणी देवी रामदेव लढ़ा चैरीटेबल ट्रस्ट रख लिया गया। जिनके अध्यक्ष भी श्री रामदेव लढ़ा बने रहे। लढ़ा के चार पुत्र है जिनमें सबसे बड़े मूलचंद लढ़ा,राजकुमार लढ़ा,गिरीराज लढ़ा,ओमप्रकाश लढ़ा है। लढ़ा ने कल्याणकारी योजनाओं को संचालित कर गरीबों के लिए उत्थान का कार्य निरंन्तर जारी रखा। ट्रस्ट में वर्तमान में श्री मूलंचद लढ़ा अध्यक्ष पद पर आसीन है।
उच्च शिक्षा के विकास के लिए ट्रस्ट के पुर्व अध्यक्ष श्री रामदेव लढ़ा की परम इच्छा थी कि नावां में एक भव्य शिक्षा का केन्द्र होना चाहिए।
शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों के अध्ययन को बढावा देने के लिए विधालयों में सहयोग करने के लिए अग्र पक्ति में कार्य किया। नावां सहित आस पास के लडक़े और लड़किया गरीब होने के कारण अपने अध्ययन कार्य को बाहरवी के बाद समाप्त कर देते थे। क्यों कि उनके पास संसाधन नही थे।
उच्च शिक्षा के विकास के लिए ट्रस्ट के पुर्व अध्यक्ष श्री रामदेव लढ़ा की परम इच्छा थी कि नावां में एक भव्य शिक्षा का केन्द्र होना चाहिए। उनकी इच्छा को ह्दय के अन्तरंगों में रखकर उनके पुत्रों ने साकार रूप दिया है और महाविधालय भवन का निर्माण करवाया।